कैसे हुई भोजपुरी भाषा की उत्पत्ति ? जानें कैसे पड़ा भोजपुरी नाम

भोजपुरी एक स्वतंत्र भाषा है जिसकी उत्पत्ती (Bhojpuri language Origin) मगधी प्राकृत से हुई है. ऐसा माना जाता है कि भोजपुरी का इतिहास 7वीं सदी से शुरू होता है. बिहार के पूर्ववर्ती आरा जिले के बक्सर सब-डिविजन , जो अब बक्सर अलग जिला है।

Bhojpuri Language History:
भोजपुरी बहुत ही सुंदर, सरस, तथा मधुर भाषा है। भोजपुरी भाषा भाषियों की संख्या भारत की समृद्ध भाषाओं- बँगला, गुजराती और मराठी आदि बोलनेवालों से कम नहीं है। इन दृष्टियों से इस भाषा का महत्व बहुत अधिक है और इसका भविष्य उज्जवल तथा गौरवशाली प्रतीत होता है।
भोजपुरी एक पूर्वी हिंद-आर्य भाषा है जो भोजपुर-पूर्वांचल क्षेत्र में बोली जाती है। यह मुख्य रूप से पश्चिमी बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिमी झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के उत्तर-पूर्वी भाग और नेपाल के तराई क्षेत्र में बोली जाती है। भारत के झारखंड राज्य में भोजपुरी दूसरी राजकीय भाषा है।
भोजपुरी प्राचीन समय में कैथी लिपि मे लिखी जाती थी।भोजपुरी भाषा प्रधानतया पश्चिमी बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश तथा उत्तरी झारखण्ड के क्षेत्रों में बोली जाती है। इन क्षेत्रों के अलावा भोजपुरी विदेशों में भी बोली जाती है।
भोजपुरी भाषा फिजी और नेपाल की संवैधानिक भाषाओं में से एक है। इसे मॉरीशस, फिजी, गयाना, सूरीनाम, सिंगापुर, उत्तर अमरीका और लैटिन अमेरिका में भी बोला जाता है।

कैसे पड़ा नाम ?

भोजपुरी भाषा का नामकरण बिहार राज्य के आरा (शाहाबाद) जिले में स्थित भोजपुर नामक गांव के नाम पर हुआ है. दरअसल, मध्य काल में भोजपुर नामक एक स्थान में मध्य प्रदेश के उज्जैन से आए भोजवंशी राजाओं ने एक गांव बसाया था. भोजवंशी परमार राजाओं ने राजधानी को अपने पूर्वज राजा भोज के नाम पर भोजपुर रखा था. इस वजह से यहां बोली जाने वाली भाषा का नाम भोजपुरी पड़ गया.

भोजपुरी भाषा का नामकरण बिहार राज्य के आरा (शाहाबाद) जिले में स्थित भोजपुर नामक गाँव के नाम पर हुआ है।
पूर्ववर्ती आरा जिले के बक्सर सब-डिविजन (अब बक्सर अलग जिला है) में भोजपुर नाम का एक बड़ा परगना है जिसमें “नवका भोजपुर” और “पुरानका भोजपुर” दो गाँव हैं।
मध्य काल में इस स्थान को मध्य प्रदेश के उज्जैन से आए भोजवंशी परमार राजाओं ने बसाया था। उन्होंने अपनी इस राजधानी को अपने पूर्वज राजा भोज के नाम पर भोजपुर रखा था। इसी कारण इसके पास बोली जाने वाली भाषा का नाम “भोजपुरी” पड़ गया।

कहां-कहां बोली जाती भोजपुरी भाषा, जानिए:

बिहार : बक्सर जिला, सारण जिला, सिवान, गोपालगंज जिला, पूर्वी चम्पारण जिला, पश्चिम चम्पारण जिला, वैशाली जिला, भोजपुर जिला, रोहतास जिला, बक्सर जिला, भभुआ जिला
उत्तर प्रदेश : बलिया जिला, वाराणसी जिला,चन्दौली जिला, गोरखपुर जिला, महाराजगंज जिला, गाजीपुर जिला, मिर्जापुर जिला, मऊ जिला, जौनपुर जिला, बस्ती जिला, संत कबीर नगर जिला, सिद्धार्थ नगर,आजमगढ़ जिला
झारखण्ड : पलामू जिला, गढ़वा जिला,
नेपाल : रौतहट जिला, बारा जिला, बीरगंज, चितवन जिला, नवलपरासी जिला, रुपनदेही जिला, कपिलवस्तु जिला, पर्सा जिला
गयाना : जार्जटाउन
फिजी : सुवा

भोजपुरी साहित्य :

भोजपुरिया-भोजपुरी प्रदेश के निवासी लोगों को अपनी भाषा से बड़ा प्रेम है। अनेक पत्रपत्रिकाएँ तथा ग्रन्थ इसमें प्रकाशित हो रहे हैं तथा भोजपुरी सांस्कृतिक सम्मेलन, वाराणसी इसके प्रचार में संलग्न है।
विश्व भोजपुरी सम्मेलन समय-समय पर आंदोलनात्म, रचनात्मक और बैद्धिक तीन स्तरों पर भोजपुरी भाषा, साहित्य और संस्कृति के विकास में निरंतर जुटा हुआ है।
विश्व भोजपुरी सम्मेलन से ग्रन्थ के साथ-साथ त्रैमासिक ‘समकालीन भोजपुरी साहित्य’ पत्रिका का प्रकाशन हो रहे हैं।
विश्व भोजपुरी सम्मेलन, भारत ही नहीं ग्लोबल स्तर पर भी भोजपुरी भाषा और साहित्य को सहेजने और इसके प्रचार-प्रसार में लगा हुआ है।
देवरिया (यूपी), दिल्ली, मुंबई, कोलकभोजपुता, पोर्ट लुईस (मारीशस), सूरीनाम, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और अमेरिका में इसकी शाखाएं खोली जा चुकी हैं।

भोजपुरी साहित्य में भिखारी ठाकुर योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। उन्हें भोजपुरी का शेक्सपीयर भी कहा जाता है।
उनके लिखे हुए नाटक तत्कालीन स्त्रियों के मार्मिक दृश्य को दर्शाते हैं, अपने लेखों के द्वारा उन्होंने सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार किया है।
उनके प्रमुख ग्रंथ है:-बिदेशिया,बेटीबेचवा,भाई बिरोध,कलजुग प्रेम,विधवा बिलाप इतियादी।

महेंदर मिसिर भी भोजपुरी के एक मूर्धन्य साहित्यकार हैं. एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ साथ महेंदर मिसिर भोजपुरी के महान कवि भी थे. उन्हें पुरबी सम्राट के नाम से भी जाना जाता है।

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